विषय-सूची
सामान्य अध्ययन-I
1. चक्रवाती तूफान ‘निसर्ग’
2. सूर्य का कोरोना (Sun’s Corona)
सामान्य अध्ययन-II
1. वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना
2. इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोत्साहन योजनाओं का आरम्भ
3. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)
सामान्य अध्ययन-III
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSPs)
2. ओटीटी (ओवर-द-टॉप) स्ट्रीमिंग
प्राम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC)
2. राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC)
3. देपसंग (Depsang)
4. वैश्विक आर्थिक संभावनाएँ
5. चंगपा समुदाय
सामान्य अध्ययन-I
विषय : भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ।
चक्रवाती तूफान ‘निसर्ग‘
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु: उष्णकटिबंधीय चक्रवात- कारक, प्रक्रिया, नामकरण और प्रभाव।
संदर्भ: मध्य-पूर्वी अरब सागर के ऊपर बने चक्रवाती तूफान को ‘निसर्ग’ (Nisarga) नाम दिया गया है। यह नाम बांग्लादेश द्वारा सुझाया गया है।
भारत के मौसम विभाग (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार- अरब सागर में भारत के मध्य-पश्चिम तटीय क्षेत्र में अवदाब (Depression) क्षेत्र के विकसित होने से ‘निसर्ग’ चक्रवात का निर्माण हुआ है।
‘निसर्ग’ चक्रवात मुंबई तट के पास से गुजरते हुए देश में प्रवेश करेगा। महाराष्ट्र और गुजरात में पूर्व-चक्रवातीय ‘रेड अलर्ट’ जारी कर दिया गया है। इन राज्यों कुछ हिस्सों में भीषण वर्षा होने की संभावना है।
आगे क्या होगा?
चक्रवात के तीव्र होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं। वर्तमान में समुद की सतह का तापमान लगभग 30 से 32 डिग्री सेल्सियस है जो कि सामान्य तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से 4 डिग्री सेल्सियस तक अधिक है।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, इस तूफान के असर से अगले 12 घंटों में 100 से 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने और भारी बारिश की संभावना है
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अगले 12 घंटों के दौरान ‘निसर्ग’ चक्रवात के एक गंभीर चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होने की संभावना है।
‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ द्वारा चक्रवातों को बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में बनने वाली निम्न दाब प्रणाली तथा उनकी हानिकारक क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
चक्रवात क्या है?
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक विस्तृत वायु प्रणाली होती है जिसमे निम्न वायुमंडलीय दाब केंद्र के चारो ओर उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा में तीव्र वायु प्रवाह होता है।
चक्रवात का निर्माण
- चक्रवात का निर्माण अत्यंत निम्न दाब तंत्र के बनने तथा उसके चारो ओर तीव्र हवाओं के संचरण के परिणाम स्वरूप होता है।
- हवाओं की गति, दिशा, तापमान तथा आर्द्रता जैसे कारक चक्रवात के विकास में सहायक होते हैं।
- बादलों के निर्माण से पूर्व, वायुमंडल की ऊष्मा से जल वाष्प में परिवर्तित होता है। जल-वाष्प पुनः वर्षा के रूप में वापस तरल रूप में परिवर्तित होती है तथा वायुमंडल में ऊष्मा निर्मुक्त होती है।
- वायुमंडल में निर्मुक्त ऊष्मा आस-पास की वायु को गर्म करती है। वायु गर्म होकर ऊपर उठती है जिससे निम्न दाब का निर्माण होता है। परिणाम स्वरूप हवाएं तीव्रता से निम्नदाब केंद्र की ओर झपटती है तथा एक चक्रवात का निर्माण होता है।
अतिरिक्त तथ्य:
- विश्व में चक्रवातों का नामकारण क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र तथा और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (Regional Specialised Meteorological Centres and Tropical Cyclone Warning Centres) द्वारा किया जाता है। विश्व में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) सहित कुल छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMC) तथा पाँच उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (TCWCs) हैं।
- भारतीय मौसम ब्यूरो को एक मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी सहित उतरी हिन्द महासागर के ऊपर विकसित होने वाले चक्रवातों के नामकरण हेतु अधिकृत किया गया है।
- IMD ने अप्रैल 2020 में चक्रवात नामों की एक सूची जारी की है. जिसमे 13 सदस्य देशों ने सुझाव दिए है।
- आगामी कुछ चक्रवातों के नाम ‘गति’ (भारत द्वारा नामित), निवार (ईरान), बुरेवी( Burevi) (मालदीव), ताउक्ते (म्यांमार) और यास (ओमान) होंगे।
प्रीलिम्स लिंक:
- चक्रवात की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी कारक
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रवातों का नामकरण।
- भारत के पूर्वी तट में अधिक चक्रवात क्यों?
- कोरिओलिस बल क्या है?
- संघनन की गुप्त ऊष्मा क्या है?
मेंस लिंक:
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ।
सूर्य का कोरोना (Sun’s Corona)
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु: कोरोना- अवस्थिति, विशेषताएं एवं प्रभाव।
संदर्भ: हाल ही में वैज्ञानिकों ने सूर्य से उत्सर्जित होने वाली रेडियो प्रकाश की सूक्ष्म दीप्ति (tiny flashes of radio light) की खोज की है। इनके अनुसार, यह ‘कोरोना के गर्म होने के कारण’ को समझने में सहायक हो सकती है।
डेटा को मर्चिसन वाइडफील्ड ऐरे (Murchison Widefield Array –MWA) रेडियो टेलीस्कोप की सहायता से एकत्र किया गया है।
यह क्या है?
अध्ययन के दौरान मिले रेडियो प्रकाश अथवा संकेत सूर्य पर एक चुंबकीय विस्फोट के परिणामस्वरूप उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन बीम से प्राप्त हुए थे।
ये प्रेक्षण ‘सूक्ष्म चुंबकीय विस्फोट’ के आज तक के सर्वाधिक विश्वसनीय प्रमाण है। इन सूक्ष्म चुंबकीय विस्फोटो’, को प्रख्यात अमेरिकी सौर खगोल भौतिकीविद् यूजीन पार्कर द्वारा नैनोफ्लेयर्स (Nanoflares) का नाम दिया गया है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये ‘सूक्ष्म चुंबकीय विस्फोट’ कोरोना के गर्म होने का कारण हो सकते हैं।
सूर्य का कोरोना (Corona) क्या है?
कोरोना, सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग है। यह कोरोना सामान्यतः सूर्य की सतह के तीव्र प्रकाश से छिपा रहता है। इस कारण इसे बिना विशेष उपकरणों के देख पाना मुश्किल होता है। हालाँकि, कोरोना को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकता है।
विशेषताएं
कोरोना का घनत्व सूर्य की सतह से लगभग 10 मिलियन गुना कम है। कम घनत्व के कारण ही कोरोना की चमक सूर्य की सतह की तुलना में बहुत कम होती है।
कोरोना इतना गर्म क्यों है?
कोरोना का उच्च तापमान एक रहस्य है। खगोलविद लंबे समय से इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना सूर्य के वायुमंडल की बाहरी परत में, सूर्य की सतह से दूर अवस्थित है। फिर भी सूर्य की सतह की तुलना में कोरोना सैकड़ों गुना ज्यादा गर्म है।
सौर हवाएं (Solar Winds), कोरोना से किस प्रकार उत्पन्न होती है?
सौर हवाएं सूर्य से चलने विकिरणों और आवेशित कणों की अत्यधिक गर्म धाराएं होती हैं जो सूर्य के वायुमंडल कोरोना से निकल कर सारे सौरमंडल में फैल जाती है। ये अत्यधिक गर्म, विकिरण युक्त और हानिकारक हौती हैं।
कोरोना अंतरिक्ष में दूर तक विस्तृत है। सौर हवाएं हमारे सौर मंडल से होकर गुजरती है। कोरोना के तापमान के कारण इसके कण में बहुत तीव्र गति होती हैं। इन कणों की की गति इतनी अधिक होती है कि यह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण को पार कर जाते हैं।
मर्चिसन वाइडफील्ड ऐरे (Murchison Widefield Array –MWA) रेडियो टेलीस्कोप
- यह निम्न आवृत्ति वाली रेडियो सरणी के निर्माण और संचालन हेतु खगोल संगठनों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ की एक संयुक्त परियोजना है।
- यह 70-300 मेगाहर्ट्ज की आवृत्ति रेंज में कार्य करता है।
- MWA के मुख्य वैज्ञानिक लक्ष्य खगोलीय पुनःआयनीकरण काल (Epoch of Reionization –EoR) के दौरान प्राकृतिक हाइड्रोजन परमाणु के उत्सर्जन का पाता लगाना, सूर्य का अध्ययन, हेलियोस्फीयर, तथा पृथ्वी के आयनमंडल का अध्ययन करना है।
प्रीलिम्स लिंक:
- MWA रेडियो टेलीस्कोप कहाँ स्थित है?
- रेडियो तरंगें क्या हैं?
- सूर्य की विभिन्न परतें?
- सोलर फ्लेयर्स क्या हैं?
- सनस्पॉट्स क्या हैं?
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन-II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
वन नेशन, वन कार्ड योजना
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु: प्रस्तावित योजना की मुख्य विशेषताएं, पीडीएस।
मुख्य परीक्षा हेतु: योजना के महत्व, कार्यान्वयन में चुनौतियां।
संदर्भ: वन नेशन वन कार्ड योजना में तीन और राज्य ओडिशा, सिक्किम तथा मिजोरम सम्मिलित किये गए हैं।
अब यह सुविधा 20 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध कराई गई है।
योजना के बारे में:
वन नेशन वन राशन कार्ड (OROC) योजना के माध्यम से सभी लाभार्थियों, विशेष रूप से प्रवासियों को देश भर में अपनी पसंद की किसी भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) दूकान से राशन उपलब्ध हो सकेगा।
लाभ: कोई भी व्यक्ति स्थान परिवर्तन करने पर खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने से वंचित नहीं होगा। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक राशन कार्ड रखकर विभिन्न राज्यों से लाभ उठाने की संभावना को दूर करना भी है।
महत्व: यह योजना लाभार्थियों को अपनी पसंद की PDS दूकान चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करती है, क्योंकि अब वे किसी एक पीडीएस दुकान से अनाज लेने के लिए बाध्य नहीं होंगे।
इससे दुकान मालिकों पर लाभार्थियों की निर्भरता कम होगी तथा भ्रष्टाचार के मामलों पर अंकुश लगेगा।
‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ का मानक प्रारूप
विभिन्न राज्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रारूप को ध्यान में रखते हुए राशन कार्ड के लिए एक मानक प्रारूप तैयार किया गया है।
- नेशनल पोर्टेबिलिटी हेतु, राज्य सरकारों को द्वि-भाषी प्रारूप में राशन कार्ड जारी करने के लिए कहा गया है, जिसमें स्थानीय भाषा के अलावा, अन्य भाषा हिंदी अथवा अंग्रेजी हो सकती है।
- राज्यों को 10 अंकों का मानक राशन कार्ड नंबर जारी करने को कहा गया है, जिसमें पहले दो अंक राज्य का कोड होंगे और अगले दो अंक राशन कार्ड नंबर होंगे।
- इसके अतिरिक्त, राशन कार्ड में परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए यूनिक सदस्य पहचान पत्र बनाने के लिए राशन कार्ड नंबर के साथ एक और दो अंकों का एक सेट जोड़ा जाएगा।
चुनौतियां
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए हर राज्य के अपने नियम हैं। यदि ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना लागू की जाती है, तो यह पहले से ही भ्रष्ट सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देगी।
- इस योजना से आम आदमी का संकट बढ़ेगा और बिचौलिये और भ्रष्ट पीडीएस दुकान मालिक उनका शोषण करेंगे।
- तमिलनाडु ने केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इसके अवांछनीय परिणाम होंगे तथा यह संघवाद के विरुद्ध है।
प्रीलिम्स लिंक:
- पीडीएस क्या है?
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) क्या है? पात्रता? लाभ?
- उचित मूल्य की दुकानें कैसे स्थापित की जाती हैं?
मेंस लिंक:
‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ योजना के महत्व पर चर्चा करें।
स्रोत: पीआईबी
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोत्साहन योजनाओं का आरम्भ
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु; मुख्य विशेषताएं, योजनाओं की महत्ता, क्षेत्र के संभावनाएं।
संदर्भ: सरकार ने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स के व्यापक स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लगभग: 48,000 करोड़ के कुल परिव्यय के साथ तीन प्रोत्साहन योजनाओं का आरम्भ किया है।
योजनाएं
- उत्पादन इंसेंटिव योजना (Production Linked Incentive):
यह योजना मोबाइल फोन निर्माण और निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर लक्षित है। सरकार शुरू में 10 फर्मों को इंसेंटिव देने की योजना बना रही है, जिसमे पांच वैश्विक तथा पांच स्थानीय इकाईयां सम्मिलित होंगी।
यह योजना भारत में निर्मित वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष) पर 4% से 6% तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी। यह प्रोत्साहन राशि पात्र कंपनियों को लक्षित क्षेत्रों में उत्पादन करने पर आधार वर्ष के बाद पांच साल की अवधि के लिए दी जायेगी।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अर्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए योजना (SPECS):
इसके अंतर्गत चिन्हित इलेक्ट्रॉनिक सामग्री, जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, अर्धचालक / प्रदर्शन निर्माण इकाइयों तथा असेंबली, टेस्ट, मार्किंग एवं पैकेजिंग (ATMP) इकाइयों तथा उपरोक्त वस्तुओं के निर्माण हेतु पूंजीगत वस्तुओं के विनिर्माण हेतु पूंजीगत व्यय पर 25% का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जायेगा।
- संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC 0) योजना:
संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC 2.0) योजना से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टरों (ईएमसी) और साझा सुविधा केंद्रों दोनों की ही स्थापना में आवश्यक सहयोग मिलेगा। इस योजना को ध्यान में रखते हुए एक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC) को विशिष्ट न्यूनतम दायरे वाले निकटवर्ती भौगोलिक क्षेत्रों में स्थापित किया जाएगा।
महत्व
इन तीन नई योजनाओं के साथ, सरकार का लक्ष्य आगामी पांच वर्षों में लगभग 10 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन करते हुए 8 लाख करोड़ रुपये की इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री का निर्माण करना है।
संभावना
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में ‘साधारण सफलता’ हासिल करने में सक्षम है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बनकर उभरा है।
2014-15 में, भारत में 18,992 करोड़ रु. मूल्य की छह करोड़ मोबाइलों का उत्पादन किया गया। वर्ष 2018-19 में इसमें 1.7 लाख करोड़ रु. मूल्य की 30 करोड़ इकाइयों तक की वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम है। आत्मनिर्भर भारत का तात्पर्य शेष विश्व से अलग भारत नहीं है। यह वह भारत है जो अपनी क्षमता में वृद्धि करके वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकास करता है।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध। द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की प्रमुख विशेषताएं
मुख्य परीक्षा हेतु: भारत की चिंतायें, इनके समाधान के तरीके तथा परियोजना के वैश्विक निहितार्थ।
संदर्भ: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के अंतर्गत चीन भारत की आपत्ति के बावजूद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 1,124-मेगावाट बिजली परियोजना- कोहला जल विद्युत परियोजना (Kohala Hydropower Project) स्थापित कर रहा है।
चीन के थ्री गोरजेस कॉर्पोरेशन, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) तथा प्राइवेट पॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर बोर्ड (PPIB) के मध्य चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) ढांचे के तहत 1,124-मेगावॉट कोहाला पनबिजली परियोजना को लागू करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते को अंतिम रूप दिया गया है।
विवरण:
- यह परियोजना झेलम नदी पर प्रस्तावित है तथा इसका उद्देश्य पाकिस्तान में उपयोगकर्ताओं के लिए पांच बिलियन यूनिट से अधिक स्वच्छ और कम लागत वाली बिजली प्रदान करना है।
- यह क्षेत्र में एक स्वतंत्र बिजली उत्पादक (IPP) में 2.4 बिलियन अमरीकी डालर के सबसे बड़े निवेशों में से एक है।
CPEC के बारे में:
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लम्बी एक वाणिज्यिक परियोजना हैl
यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य चीन द्वारा वित्त पोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से दुनिया विश्व में बीजिंग के प्रभाव को बढ़ाना है।
इस 3,000 किलोमीटर लंबे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन का निर्माण सम्मिलित है।
प्रस्तावित परियोजना को भारी-सब्सिडी वाले ऋणों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। यह ऋण चीनी बैंकिंग दिग्गजों, जैसे एक्जिम बैंक ऑफ चाइना, चीन डेवलपमेंट बैंक तथा चीन के औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक द्वारा पाकिस्तान की सरकार को प्रदान किया जाएगा।
भारत की चिंताएं:
यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होते हुए गुजरेगा। यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भारतीय संप्रुभता के लिए नुकसानदेय साबित होगी l
CPEC ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अपनी आपूर्ति लाइनों को सुरक्षित और छोटा करने के साथ-साथ हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की चीनी योजना पर आधारित है। अतः यह माना जाता है कि CPEC के परिणामस्वरूप हिंद महासागर में चीनी मौजूदगी भारत के प्रभाव पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
यातायात और ऊर्जा का मिला-जुला यह प्रोजेक्ट समंदर में बंदरगाह को विकसित करेगा जो भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खोल देगाl
ग्वादर, बलूचिस्तान के अरब सागर तट पर स्थित हैl पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का यह हिस्सा दशकों से अलगाववादी विद्रोह का शिकार हैl इस परियोजना के कारण भारत के आस पास के क्षेत्र में अशांति फैलने का डर बना रहेगा l
प्रीलिम्स लिंक:
- CPEC क्या है?
- BRI पहल क्या है?
- गिलगित- बाल्टिस्तान कहां है?
- पाकिस्तान और ईरान में महत्वपूर्ण बंदरगाह।
मेंस लिंक:
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) ढांचे पर भारत की चिंताओं पर चर्चा करें। सुझाव दें कि भारत को इस गठबंधन से उत्पन्न चुनौतियों से कैसे निपटना चाहिए?
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन-III
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु: न्यूनतम समर्थन मूल्य – किन फसलों को कवर करता है? यह कैसे तय किया जाता है?
मुख्य परीक्षा हेतु: MSP – आवश्यकता, महत्व, चिंतायें और सुधार के उपाय।
संदर्भ: आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs -CCEA) ने विपणन सीजन 2020-21 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
इसका उद्देश्य उत्पादकों के लिए उनकी उपज के पारिश्रमिक मूल्य को सुनिश्चित करना है। एमएसपी में उच्चतम वृद्धि नाइजरसीड (755 रुपये प्रति क्विंटल) और उसके पश्चात तिल (370 रुपये प्रति क्विंटल), उड़द (300 रुपये प्रति क्विंटल) और कपास (लंबा रेशा) (275 रुपये प्रति क्विंटल) प्रस्तावित है। पारिश्रमिक में अंतर का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices –MSPs) क्या है?
सैधांतिक रूप में, न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित वह मूल्य होता है जिस पर किसान अपनी उपज को सीजन के दौरान बेच सकते हैं। जब बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा हो, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है।
MSP को कौन निर्धारित करता है?
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA), कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर प्रत्येक बुवाई के मौसम की शुरुआत में विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है।
यह महत्वपूर्ण क्यों है?
मूल्य अस्थिरता किसानों का जीवन को कठिन बनाती है। यदि किसी फसल का बम्पर उत्पादन होने या बाजार में उसकी अधिकता होने के कारण उसकी कीमत घोषित मूल्य की तुलना में कम हो जाती है तो सरकारी एजेंसियाँ किसानों की अधिकांश फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेती हैं।
MSP यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को प्रतिकूल बाजारों में उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य मिले। MSP का उपयोग सरकार द्वारा किसानों को उन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया है जिनकी बाजार में आपूर्ति मात्र में होती है।
न्यूनतम मूल्य निर्धारण करने में ध्यान रखे जाने वाले कारक
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय निम्नलिखित कारकों का ध्यान रखता है।
- मांग और आपूर्ति
- उत्पादन की लागत
- बाजार में मूल्य रुझान, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों
- अंतर-फसल मूल्य समता
- कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें
- उत्पादन लागत पर लाभ के रूप में न्यूनतम 50%; तथा
- उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर एमएसपी के संभावित प्रभाव।
प्रीलिम्स लिंक:
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की संरचना।
- कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) क्या है?
- एमएसपी योजना के तहत कितनी फसलें शामिल हैं?
- एमएसपी की घोषणा कौन करता है?
- खरीफ और रबी फसलों के बीच अंतर।
स्रोत: पीआईबी
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
ओवर-द-टॉप (OTT) स्ट्रीमिंग
क्या अध्ययन करें?
प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु: विशेषताएं, महत्व और संबंधित चिंताएँ।
संदर्भ: मलयालम फिल्म उद्योग में अधिकांश निर्माताओं ने घोषणा की है कि वे COVID-19 के प्रकोप के दौरान अपनी फिल्मों की ऑनलाइन रिलीज को वरीयता नही देते हैं।
मुद्दा क्या है?
महामारी के बीच थिएटर बंद रहने के कारण कई फिल्मों की रिलीज तीन महीने के लिए टाल दी गई थी। इसके बाद, कुछ निर्माताओं ने अपनी फिल्मों के लिए ओवर-द-टॉप (OTT) रिलीज़ करने की घोषणा की थी।
इस निर्णय से नाराज होकर थिएटर मालिकों ने घोषणा की कि यदि फिल्म निर्माता ऑनलाइन रिलीज करते हैं तो वे निर्माता और अभिनेता की फिल्मों का बहिष्कार करेंगे।
ओवर-द-टॉप (OTT) स्ट्रीमिंग क्या है?
‘ओवर-द-टॉप’ मीडिया सेवा कोई भी ऑनलाइन सामग्री प्रदाता होती है जो एक स्टैंडअलोन उत्पाद के रूप में स्ट्रीमिंग मीडिया की पेशकश करती है। यह शब्द सामान्यतः वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन इसका ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सोल्यूशन के संदर्भ में भी प्रयोग होता है।
‘ओवर-द-टॉप’ सेवाएं पारंपरिक मीडिया वितरण चैनलों जैसे दूरसंचार नेटवर्क या केबल टेलीविजन प्रदाताओं को दरकिनार करती हैं। यदि आपके पास इंटरनेट कनेक्शन है तो आप अपनी सुविधानुसार ओवर-द-टॉप’ सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
ओवर-द-टॉप (OTT) का उपयोग क्यों?
- कम कीमत पर उच्च मूल्य की सामग्री।
- नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन प्राइम जैसे ओरिजिनल सामग्री प्रदाता।
- कई उपकरणों के साथ संगतता (Compatibility)।
स्रोत: द हिंदू
प्राम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (National Productivity Council– NPC)
NPC भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिये राष्ट्रीय स्तर का एक स्वायत्त संगठन है।
- यह उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (DIPP) के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन में कार्य करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1958 में एक पंजीकृत सोसाइटी के तौर पर की गयी थी।
- यह एक बहुपक्षीय, गैर-लाभकारी संगठन है, जिसमें तकनीकी और व्यावसायिक संस्थानों और अन्य हितों के अलावा नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों और सरकार से समान प्रतिनिधित्व है।
- NPC टोक्यो आधारित एशियन प्रोडक्टिविटी आर्गेनाईज़ेशन (APO) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसका भारत एक संस्थापक सदस्य है।
कार्य: एनपीसी अपने ग्राहकों के साथ मिलकर उत्पादकता में तेजी लाने, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, लाभ बढ़ाने, सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाने और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है। यह निर्णय लेने, बेहतर प्रणालियों और प्रक्रियाओं, कार्य संस्कृति और साथ ही आंतरिक और बाहरी दोनों के लिए ग्राहकों की संतुष्टि के लिए विश्वसनीय डेटाबेस प्रदान करता है।
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC)
प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर राहत उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए, भारत सरकार ने कैबिनेट सचिव के साथ एक स्थायी राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति का गठन किया है।
मुख्य कार्य
- आपदा प्रतिक्रिया की कमान, नियंत्रण और समन्वय पर ध्यान देना।
- आवश्यक समझे जाने पर संकट प्रबंधन समूह (CMG) को दिशा निर्देश देना।
देपसंग (Depsang)
यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक महत्वपूर्ण गर्त का एक क्षेत्र है।
- चीनी सेना ने 1962 में अधिकांश मैदानों पर कब्जा कर लिया।
- भारत, लद्दाख के हिस्से के रूप में इन मैदानों के पश्चिमी भाग को नियंत्रित करता है, जबकि पूर्वी भाग अक्साई चिन क्षेत्र का हिस्सा है, जो चीन द्वारा नियंत्रित है तथा भारत द्वारा इस पर दावा किया जाता है।
चर्चा में क्यों?
देपसंग में भारी चीनी उपस्थिति की खबरें आई हैं।
‘देपसांग मैदान’ पश्चिमी क्षेत्र के उन कुछ स्थानों में से एक है जहाँ हल्का सैन्य (वाहनों) को युद्धाभ्यास में आसानी होती है, इसलिए इस क्षेत्र में कोई भी चीनी निर्माण चिंता का कारण है।
वैश्विक आर्थिक संभावनाएँ (Global Economic Prospects)
- यह विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विश्व बैंक का अर्ध-वार्षिक प्रमुख प्रकाशन है।
- यह उभरते हुए बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ वैश्विक आर्थिक विकास और संभावनाओं की जांच करता है।
- इसे वर्ष में दो बार, जनवरी और जून में, जारी किया जाता है। जनवरी संस्करण में सामयिक नीतिगत चुनौतियों का गहराई से विश्लेषण शामिल किया जाता है जबकि जून संस्करण में संक्षिप्त विश्लेषणात्मक पहलू सम्मिलित किये जाते हैं।
चांगपा समुदाय
चर्चा में क्यों?
चुमूर और डेमचोक क्षेत्रों में जनवरी से चीनी सेना की घुसपैठ ने लद्दाख के खानाबदोश हेरिंग चांगपा समुदाय को गर्मियों के चरागाहों के बड़े हिस्से से काट दिया है।
इससे लद्दाख में चांगथांग पठार के कोरज़ोक-चुमुर बेल्ट में इस साल युवा पश्मीना बकरियों की मौत में भी तेजी आई है।
चांगथंगी या पश्मीना बकरी के बारे में:
- यह जम्मू और कश्मीर में लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्वदेशी बकरी की एक विशेष नस्ल है।
- उन्हें अल्ट्रा-फाइन कश्मीरी ऊन के लिए पाली जाती है, जिसे पश्मीना के नाम से जाना जाता है।
- इन बकरियों को आमतौर पर पालतू और खानाबदोश समुदायों द्वारा पाला जाता है जिन्हें ग्रेटर लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में चांगपा कहा जाता है।
- चांगथांगी बकरियों ने चांगथांग, लेह और लद्दाख क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया है।
Insights Current Affairs Analysis (I–CAN) by IAS Topper